संतोष गोसाई का साईकल से बीएमडब्ल्यू(BMW) तक का सफ़र
प्र. आप अपने शुरुआती दिनों के कैरियर यात्रा के बारे में कुछ बताएं ?
SG : ये एक लंबी यात्रा रही है, आज से तकरीबन 28 साल पहले से भी ज़्यादा समय पहले वर्ष 1990 में स्नातक इंजीनियर प्रशिक्षु के रूप में गुड़गाँव स्थित एक फार्मक्यूटिकल फैक्ट्री का निर्माण करने वाले एक संगठन से जुड़ने के साथ शुरू हुई। इस संगठन से जुड़ने का मेरा पहला उद्देश्य निर्माण कार्यों से संबंधित व्यवहारिक ज्ञान को प्राप्त करना था। साथ ही अपने साइट के कार्यों तथा जिस संगठन के लिए कार्य करता था उसके मूल्यों के प्रति समर्पित हो कर कार्य करना था। साथ ही मेरा उद्देश्य था कि किस प्रकार से निर्माण के आधारभूत संरचना को समझकर फोरमैन, साइट इंजीनियर तथा पूरी प्रोजेक्ट टीम के साथ उस आधारभूत संरचना के ऊपर ज़मीनी स्तर पर कार्य किया जाए। हमारे प्रबंधन निदेशक ने काम के प्रति मेरी लगन और मेहनत सेप्रभावित हो कर महज़ 6 महीनों के भीतर ही मुझे प्रमोशन दे कर प्रोजेक्ट इंजीनियर बना दिया।
प्र. ऐसी कौन सी वजह थी जो आपने परियोजना निष्पादन तथा परियोजना प्रबंधन क्षेत्र से हटकर तकनीकी मार्केटिंग की तरफ रुख कर लिया ?
SG : मैं लगभग 10 वर्षों तक परियोजना निष्पादन के कार्यों में शामिल रहा। इस दौरान मैंने पाँच सितारा होटल से लेकर वाणिज्यिक संरचना, आवासीय तथा अन्य कई संस्थाओं के भवनों के निर्माण जैसे कई प्रमुख परियोजनाओं को पूरा किया।
मेरे एक पूर्व बॉस हमेशा से मुझे मेरे व्यक्तित्व के कारण मार्केटिंग क्षेत्र में कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया करते थें। साथ ही मुझे हमेशा मार्केटिंग के क्षेत्र के प्रति आश्वस्त करते हुए कहा करते थे कि इस क्षेत्र में विकास की संभावनाएं काफी ज्यादा है। उनकी कही हुई बातें हमेशा मेरे ज़ेहन में रहती थी। साथ ही मेरे मन में एक सिविल इंजीनियर के रूप में विदेश जाने का ख्याल बना रहता था। मुझे हमेशा से यह लगता था कि एक अंतरराष्ट्रीय अनुभव भविष्य में मेरे कैरियर को आगे ले जाने में मेरी काफी सहायता करेगा।
चूँकि उस समय मध्य पूर्वी देशों में जाकर अच्छा पैसा कमाने के साथ साथ अंतराष्ट्रीय अनुभव प्राप्त करने का चलन काफी ज़ोरो पर था। अतः मैंने भी इसके लिए प्रयास शुरू कर दिया और मध्य पूर्व देशों की कंपनी में कार्य करने के लिए साक्षात्कार देना प्रारंभ कर दिया। उस समय एक मध्य पूर्वी देश की एक कंपनी द्वारा 150 उम्मीदवारों में से 5 उम्मीदवारों का चयन साक्षात्कार के लिए किया गया। सौभाग्य से मैं उन पाँच उम्मीदवारों में से एक था। मैं बहरीन गया जहाँ में एक कंपनी के मार्केटिंग इंजीनियर के पद पर पदस्थापित हुआ। इस तरह मैंने अपने कार्य क्षेत्र को परियोजना निष्पादन से तकनीकी मार्केटिंग की तरफ मोड़ लिया।
प्र. आपने कब और क्यों 3R ग्रुप्स ऑफ कंपनीज़ की शुरुआत की ?
SG : विदेश में कार्य करने के पश्चात मैं भारत वापस आ गया और एक उद्यमी संगठन के साथ जुड़ कर कार्य करने लगा। यहां रासायनिक निर्माण उद्योग में शामिल हमारे निदेशक युवा होने के साथ साथ काफी होनहार व्यक्ति भी थे। उन्होंने मेरे मस्तिष्क पर उत्पादों की बिक्री तथा मार्केटिंग के विषय में काफ़ी गहरी छाप छोड़ी।
उस समय रासायनिक निर्माण उद्योग काफी नया था और इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा काफी कम थी। इस संगठन में मेरे योगदान तथा मेरी लगन एवं मेहनत को देखने हुए मुझे मुम्बई से बाहर एक बड़ी बहुराष्ट्रीय ब्रांड से संबंधित एक कॉन्क्रीट रिपेयर उत्पादन के संगठन के सेक्शन हेड के रूप में चुना गया। यहाँ मुझे ज़मीनी स्तर पर सेल्स टीम को प्रशिक्षित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। वहाँ मैंने अपने कैरियर के 4 साल दिए,तथा यहाँ मैंने मार्केटिंग की बुनियादी बातों को समझा। एक दिन टॉयलेट की सीट पर बैठे हुए मुझे विचार आया कि क्यों ना मैं 3R,जिसका अर्थ है रिपेयर,रिहैबिटेशन तथा रेट्रोफिटिंग है के नाम से खुद की कंपनी शुरू करूँ। और इस तरह से 3R ब्रांड के नाम के साथ एक कर्मचारी से एक नियोक्ता बनने के सफर की शुरुआत हुई।
प्र. आपने स्वयं को एक कर्मचारी से एक नियोक्ता के रूप में बदलने के लिए क्या किया ?
SG : शुरुआत में मेरे मन में एक डर और झिझक हमेशा बनी रहती थी लेकिन उससे ज्यादा मेरी अन्तरात्मा हमेशा मुझसे ये कहती रहती थी कि मैं उस काम के नहीं बना जो अब तक मैं करता आ रहा हूँ। हालांकि इस संगठन में मेरे एक रिपोर्टिंग बॉस हमेशा मुझे 'लैंडमार्क फोरम - जीवन की एक दिशा' की कक्षाओं में भाग लेने के लिए हमेशा मानते रहें। मैंने काफी झिझक के
साथ उनकी बात मानकर इसकी शुरुआत की और सौभाग्य से यह मेरे जीवन के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ तथा इसने मेरे जीवन के प्रति पूरे दृष्टिकोण को बदल कर रख दिया। इसके बाद मैंने फैसला किया कि मैं खुद की कंपनी की शुरुआत करूँगा,फिर मैं अपनी आरामदायक ज़िंदगी से बाहर निकल कर अपने सपनों को पूरा करने निकल पड़ा और आज यहां इस मुकाम पर हूँ।
प्र. साईकल से बीएमडब्ल्यू(BMW) तक के पीछे क्या कहानी है ?
SG : मैं एक सपने देखने वाला हूँ, मैं हमेशा से बड़े सपने देखते आया हूँ और उन सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करता हूँ। एक प्रशिक्षु इंजीनियर के रूप में मेरा पहला वेतन ₹900/माह हुआ करता था और मैं अपने पूरे महीने का खर्चा इसी वेतन से चलाता था। मेरे लिए पैसों की तंगी हमेशा बनी रहती थी। इस वज़ह से मैं खुद के लिए बाइक या स्कूटर खरीद पाने में सक्षम नहीं था। अतः अपने काम पर वक़्त से पहुँचने के लिए मैंने खुद के लिए एक साईकल खरीदी,जिससे मैं अपने साइट पर जाया करता था। जब मैं अपने नियोक्ता को मारुति1000 से बाहर निकलते देखता था तो मेरे मन में भी ये विचार आता था कि एक दिन मैं भी सबसे बेहतर ब्रांड की कार चलाऊंगा और मैं खुद से कहता था कि मुझे अपने सपनों को पूरा करने के लिए इसी तरह कड़ी मेहनत करते रहना है। अभी पिछले साल मैंने BMW -5 सिरीज़ की कार खरीदी और तब मैंने अपने अतीत को याद करते हुए स्वयं से कहा कि जीवन में कोई भी सपना इतना बड़ा नहीं होता कि हम उसे पूरा ना कर सकें। यदि हम अपने सपनों के प्रति पूरी तरह से समर्पित रहकर कड़ी मेहनत करेंगे तो अवश्य ही हमारे सपने पूरे होंगे।
प्र. वे कौन से लोग हैं जिन्होंने आपको सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हुए आप के प्रेरणा का स्रोत बने ?
SG : मेरी माँ उन सभी लोगो में सबसे प्रमुख हैं जिन्होंने मुझे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। जीवन में संघर्ष और चुनौतियों के बावजूद उन्होंने हमेशा अपने बच्चों का साथ दिया और प्रोत्साहित किया, मेरे बड़े भाई जिन्होंने शिक्षा के माध्यम से हमेशा मेरा साथ दिया,मेरे पूर्व के बॉस और मेरे दिशा निर्देशक श्री अरुण जोशी,श्री समीर वासुदेव, श्री के. पद्माकर। इन सभी लोगों में असाधारण गुण थे जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया। साथ ही मेरे एक क्लाइंट जो कि गुजरात के एक प्रसिद्ध व्यवसायी हैं जिनका नाम श्री प्रहलाद भाई पटेल है अपनी महान उपलब्धियों और विनम्रता के कारण हम जैसे तमाम लोगो के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं।
प्र. जैसा कि हम सब जानते हैं आप दान पुण्य तथा समाज सेवा के कई कार्य करते हैं, जिसके लिए आपने MFC नाम से एक संस्था का भी निर्माण किया है। कृपया इस संस्था के कार्यों और उद्देश्यों के बारे में कुछ बताएं ?
SG : हमारे परिवार में हमारे पूर्वजों से लेकर वर्तमान पीढ़ी तक सभी माता महाकाली के पक्के भक्त और सेवक हैं। माता महाकाली हमारी कुल देवी हैं। हमारे परिवार के सभी सदस्य अपने माता पिता, दादा दादी के पदचिन्हों पर चलते हुए उनका अनुसरण करते हैं। इसी क्रम में मेरे मन में भी यह विचार आया कि क्यों ना मैं अपनी कुल देवी के नाम से एक NGO की शुरुआत करूँ जो समाज के वंचित वर्ग के लोगों के लिए कंप्यूटर शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण, खेल और अन्य सभी प्रकार के क्षेत्र में कार्य करते हुए उन्हें सहायता प्रदान करे।
अतः मैंने समान विचार वाले कुछ लोगो को संगठित कर के MFC - महाकाली फाउंडेशन चैनपुर नाम से एक NGO की स्थापना की। फिलहाल यह संस्था अपने उद्देश्यों की दिशा में धीरे धीरे समाज कल्याण के पथ पर तेजी के साथ कार्य कर रही है। मुझे पता है किसी व्यक्ति का जीवन चीज़ों अभाव में कैसा होता है इसलिए मैं व्यक्तिगत रूप से अपनी कंपनी का 5% हिस्सा चैरिटी के साथ साझा करता हूँ। किसी ज़रूरतमंद की सहायता करना काफी आनंददायक होता है।
मैंने अपने गाँव चैनपुर के लिए भी कुछ उपयोगी योजनाएं बनाई है और इस पर कार्य कर रहा हूँ। इसका प्रमुख उद्देश्य हमारे लोगो के लिए रोजगार पैदा करना है जिससे उन्हें अपने परिवार से दूर बाहर जाकर रोजगार ना करना पड़े।
प्र. जीवन का कोई सबक जो आपने सीखा हो तो उसे हमारे साथ साझा करें ?
SG : जी हाँ, वैसे तो जिंदगी में मुझे कई सबक सीखने को मिले हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सबक जो मैंने अपने अनुभवों से सीखा है वो है कभी भी चुनौतियों से हार मत मानो,ईमानदारी के साथ आगे बढ़ो,कभी भी हौसला नही खोना चाहिए और अपने सपनो की खूबसूरती पर विश्वास बनाएं रखें और एक दिन आपके सपने ज़रूर पूरे होंगे।
प्र. आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगे ?
SG : मेरे परिवार के सदस्यों के साथ साथ मेरे गुरुओं के अलावा मेरे दृढ़संकल्प और कड़ी मेहनत ने मुझे आज इस मुकाम पर पहुँचाया है।
प्र. आप उद्यमियों की युवा पीढ़ी को क्या संदेश देना चाहेंगे ?
SG : मैं उन्हें इतना ही कहना चाहूंगा कि वे हमेशा अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को सुने,अपने सपनों का अनुसरण करें और उन सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें। उन्हें अपनी क्षमता को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए और सदैव बड़े सपने देखना चाहिए, क्योंकि जीवन में ऐसा कोई भी सपना इतना बड़ा नहीं होता जिसे पूरा ना किया जा सके। अतः अपनी सहूलियत और आराम को पीछे छोड़कर अपने सपनों को पूरा करने के प्रति खुद को पूरी समर्पित करें,ऐसा कर वे अपने सपने ज़रूर पूरे करेंगे।
धन्यवाद।
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